हाइड्रोसील सर्जरी (हाइड्रोसेलेक्टोमी)

हाइड्रोसील सर्जरी (हाइड्रोसेलेक्टोमी) एक सामान्य शल्य चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें अंडकोष के चारों ओर जमे तरल पदार्थ को निकालकर समस्या का समाधान किया जाता है। यह प्रक्रिया वयस्कों और बच्चों, दोनों में की जा सकती है।

9/26/20251 min read

हाइड्रोसील सर्जरी (हाइड्रोसेलेक्टोमी) एक सामान्य शल्य चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें अंडकोष के चारों ओर जमे तरल पदार्थ को निकालकर समस्या का समाधान किया जाता है। यह प्रक्रिया वयस्कों और बच्चों, दोनों में की जा सकती है।

हाइड्रोसील क्या है?

हाइड्रोसील अंडकोष के चारों ओर तरल पदार्थ की थैली होती है, जिससे अंडकोष में सूजन आ जाती है या भारीपन महसूस होता है। अक्सर यह बिना दर्द के होता है, लेकिन आकार बढ़ने पर असुविधा या दर्द का कारण बन सकता है।

सर्जरी कब आवश्यक है?

  • हाइड्रोसील अगर लंबे समय तक बना रहे या बार-बार अपना आकार बदले।

  • अंडकोष में दर्द, भारीपन, असुविधा या संक्रमण।

  • बच्चा अगर 1 वर्ष की उम्र के बाद भी ठीक न हों।

  • पेशाब, यौन क्रियाकलाप, या चलने-फिरने में परेशानी।

सर्जरी के मुख्य प्रकार

  • ओपन हाइड्रोसेलेक्टोमी: पारंपरिक सर्जरी जिसमें अंडकोष पर चीरा लगाकर तरल और हाइड्रोसील थैली को निकालते हैं।

  • लेजर हाइड्रोसील सर्जरी: कम चीरा, कम दर्द और जल्दी रिकवरी, लेकिन हर जगह उपलब्ध नहीं।

सर्जरी की प्रक्रिया

  • रोगी को लोकल या जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है।

  • अंडकोष के नीचे या कमर के पास एक छोटा चीरा लगाया जाता है।

  • तरल पदार्थ को बाहर निकालकर हाइड्रोसील को हटाया या मरम्मत किया जाता है।

  • आवश्यकतानुसार डेन (नाली) लगाई जाती है ताकि बचे तरल को बाहर निकाला जा सके।

  • चीरे को टांकों या स्टेपलर से बंद कर दिया जाता है।

सर्जरी के बाद रिकवरी व देखभाल

  • अधिकतर मामलों में मरीज को सर्जरी के बाद उसी दिन छुट्टी दे दी जाती है।

  • पूर्ण रूप से सामान्य होने में 2-3 सप्ताह लग सकते हैं।

  • डॉक्टर की सलाह के अनुसार आइसपैक, आराम, हल्का खाना और नियमित दवा लेना जरूरी है।

  • टांकों की सही देखभाल करना, इंफेक्शन से बचना और अधिक थकान से बचना चाहिए।

संभावित जटिलता और दुष्प्रभाव

  • संक्रमण या ड्रेसिंग में समस्या

  • अस्थायी सूजन, हल्का दर्द या खुजली

  • दुर्लभ मामलों में, फोड़ा या रक्तस्राव।

लागत और बीमा

भारत में हाइड्रोसील सर्जरी की कीमत ₹30,000 से ₹65,000 तक जा सकती है। यदि बीमारी जटिल है तो खर्च बढ़ सकता है। अधिकतर स्वास्थ्य बीमा कंपनियां लागत को कवर करती हैं।